Maa Durga
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बृहस्पति, सुहोत्र, याज्ञवल्क्य, पैल, गोभिल जैसे विख्यात ऋषि तमसा नदी के तट पर पुत्रयेष्टि यज्ञ चल रहा था. कौशल देश के नामी ब्राह्मण देवदत्त संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करवा रहे थे.

देवदत्त के विवाह के लंबे समय बाद भी कोई संतान न हुई. देवदत्त ने सोचा कि विद्वान आचार्यों द्वारा यज्ञ संपन्न कराया जाए ताकि जो पुत्र प्राप्त हो वह तेजस्वी हो.

तेजस्वी पुत्र के लोभ में देवदत्त पूरे यज्ञ पर नजर रखे था. गोभिल ऋषि सामवेद के रथन्तर मंत्र का उच्चारण कर रहे थे. उच्चारण के बीच उनके स्वर कुछ ऊपर नीचे हो गए.

देवदत्त ने देखा तो लगा कि कहीं इस चूक के कारण उनका पुत्र कम प्रतिभाशाली न हो जाए. इसलिए झल्लाकर गोभिल से बोला- मुनिवर! यह यज्ञ उत्तम पुत्र-प्राप्ति के लिए कर रहा हूं. आपने स्वर ही गड़बड़ा दिया.

देवदत्त का टोकना गोभिल ऋषि को बुरा लगा. वह बोले- दुष्ट! सब के शरीर में सांस आती जाती है. इससे सुर भी इधर उधर हो सकते हैं. इसमें किसी क्या दोष? बिना सोचे-विचारे तुमने मेरा अपमान किया.

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3 COMMENTS

  1. Your comment..prabhu sharma ji itni sundar kataye gyan vardhak bate aapne ham tak pahuchaya iske liye hum aapka aabhar prakat karte hai ..jai siya ram ji

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