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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार तलाक के कारणः
सप्तम भाव में अकेला सूर्य नीच होकर बैठा हो और उस पर मंगल-शनि की दृष्टि पड़ रही हो, शुभ ग्रह से वंचित हो तो ऐसी कन्या से विवाह यदि होता है तलाक की आशंका प्रबल रहती है.
शादी के पूर्व यदि मेलापक में ग्रह मैत्री एवं भकूट की मैत्री नहीं हो तो जीवनभर कलह बना रहेगा. सुखी दांपत्य जीवन के लिए ग्रह मैत्री आवश्यक है. इसलिए विवाह के पूर्व कुंडली मिलान और शुभ मुहूर्त का विचार कर ही लेना चाहिए.
परंतु घबराने की बात नहीं यदि कोई चूक हो गई है जिससे बाधा आ रही है तो इसका निवारण किया जा सकता है. दांपत्य जीवन की बाधा जितनी कष्टकारी होती है उतना ही सरल है इसे सुधार लेना.
कई छोटे-छोटे उपाय हैं जिनकी मैं आगे चर्चा कर रहा हूं. इनमें से कौन से उपाय आपको आजमाने हैं यह तो संबंधों की स्थिति को देखकर आपको करना चाहिए. परंतु इसके लिए यदि किसी योग्य ज्योतिषी का परामर्श ले लें तो उत्तम रहता है.
कुछ उपाय ऐसे हैं जिसे पति-पत्नी स्वयं कर सकते हैं, कुछ उपाय के लिए उन्हें वेदपाठी ब्राह्मणों की आवश्यकता होती है.
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