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भगवान ने समझाया- मुझे सुख तुम्हारे शरीर के कष्ट से नहीं मिलता. यदि तुम शुद्ध मन से व्रत-उपवास करते हो तब मैं भी तुम्हारे साथ उपवास कर भूख की पीड़ा महसूस करता हूं और तुम्हें अन्न-धन की कमी न हो इसका प्रबंध करता हूं.
अगर बंधन समझ कर पूजा-व्रत करोगे तो फिर मुझे तो इससे दूर ही रखो. भक्त मुझे बंधन में बांध सकते है, पर बल से नहीं केवल भाव से. राजा को ज्ञान मिला.
व्रत-पूजा का तब तक कोई लाभ नहीं जब तक मन शुद्ध न हो. वह भी मन से व्रत-उपवास करने लगा.
संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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