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कामिनी अच्छे चरित्र की नहीं थी. काम कुकर्म में रत रहने वाली कामिनी पति के न रहने पर दुराचारी हो गयी. इस कुकर्म से उसे एक पुत्र हुआ जो बुरी आदतों वाला था.
कामिनी का यह पुत्र व्याधकर्मा नाम से जाना गया. व्याधकर्मा ब्राह्मण होकर भी शास्त्रों से दूर था. शिक्षा-दीक्षा से कोई सरोकार नहीं था साथ ही वह बड़ा धूर्त भी था. नाम के अनुरूप पापकर्म में लगा रहता और इसके लिए वह कुख्यात हुआ.
कालांतर में ब्राह्मण ने अपनी स्त्री एवं पुत्र को निरंतर निन्दित कर्म और पापमय आचरण करते देखकर उन दोनों को घर से निकाल दिया. ब्राह्मण स्वयं भी विन्ध्याचल पर्वत पर चला गया.
विंध्य पर्वत पर जाकर ब्राह्मण धर्म में तत्पर रहते हुए प्रतिदिन चण्डीपाठ करता था. मां जगदम्बा की कृपा से वह जीवन से मुक्त हो गया. इधर दोनों माता-पुत्र कामिनी और व्याधकर्मा एक केवट के घर चले गए और वहीं रहने लगे.
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Jai Maa Durga