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सब देवता उसके डर के मारे अपनी पत्नी-पुत्रों आदि के साथ बहुत वर्षों तक सुमेरू पर्वत की गुफाओं में वास करते रहे. जब देवता देवलोक छोड़कर चले गए तो भी शंखासुर को संतोष न हुआ.

उसने सोचा- मैंने देवताओं को तो जीत लिया है फिर भी वे पूरी तरह शक्तिहीन नहीं हुए हैं. वे वेद मंत्रों आदि के बल के कारण शक्तिशाली हो जाते हैं. यदि उनके वेद-मंत्रों आदि का हरण कर लिया जाए तो वे बलहीन हो जाएंगे.

ऐसा विचारकर व असुर भगवान विष्णु को नींद में ग्रस्त देखकर स्वयं ब्रह्माजी के लोक पहुंचा और वहां से वेदों का हरण करने का प्रयास करने लगा. उसके भय के मारे यज्ञ के मंत्र बीजों समेत जल में प्रवेश कर गए.
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