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राजा पृथु ने पूछा- हे नारदजी आपने कार्तिक मास के व्रत में तुलसी की जड़ में भगवान विष्णु का निवास बताकर उस स्थान की मिट्टी का पूजन बताया है. अब मैं तुलसीजी के माहात्म्य को सुनना चाहता हूं. तुलसी कहां और कैसे उत्पन्न हुई वह मुझसे कहिए.

नारद बोले- हे राजन एक बार देवगुरू बृहस्पति के साथ देवराज इंद्र कैलाश पर शिवजी के दर्शन को गए. शिवजी ने देवराज की परीक्षा लेने की सोची. उन्होंने एक जटाधारी दिगंबर का रूप धरा और मार्ग पर बैठ गए.
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