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कन्या पूजन की मंत्र सहित संक्षिप्त विधिः
दो वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं.
यही कारण है कि इसी उम्र की कन्याओं के पैरों का विधिवत पूजन कर भोजन कराया जाता है. माना जाता है कि होम जप और दान से देवी जितनी प्रसन्न होतीं हैं उतनी ही प्रसन्नता माता को कन्या पूजन से होती है.
कन्याओं के विधिवत, सम्मानपूर्वक माता की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के हृदय से भय दूर हो जाता है. उसके मार्ग में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. उस पर मां की कृपा से कोई संकट नहीं आता.
नवरात्र में कन्या पूजन के लिए जिन कन्याओं का चयन करें उनकी आयु दो वर्ष से कम न हो और दस वर्ष से ज्यादा भी न हो. एक वर्ष या उससे छोटी कन्याओं की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि एक वर्ष से छोटी कन्याएं प्रसाद नहीं खा सकतीं.
उन्हें प्रसाद-पूजन आदि का ज्ञान नहीं होता. इसलिए शास्त्रों में दो वर्ष से दस वर्ष की आयु की कन्याओं का पूजन करना ही श्रेष्ठ माना गया है.
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