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एक बार भगवान शिव को इच्छा हुई कि एक बड़ा यज्ञ किया जाए. विचार आते ही वह शीघ्र ही यज्ञ अनुष्ठान प्रारंभ करने की तैयारियों में जुट गए.
सारे गणों को यज्ञ अनुष्ठान से जुड़ी अलग-अलग जिम्मेदारियां और कार्य सौंपे गए. सबसे बड़ा काम था यज्ञ में सारे देवताओं को आमंत्रित करना.
महादेव का यज्ञ हो, तो समस्त देवतागण सम्मिलित होंगे ही. यज्ञ का नियम कहता है कि अनुष्ठान करने वाला सभी यजमानों को निमंत्रण दे.
महादेव को ऐसे पात्र की तलाश थी जो समय रहते सभी लोकों में जाकर वहां के देवताओं को ससम्मान निमंत्रण दे आए.
इसके लिए बुद्धिमान, विवेकशील और बड़े काम को फुर्ती के साथ करने वाले व्यक्ति की आवश्यकता थी.
शिवगण फुर्तीले तो थे लेकिन उनकी बुद्धिमानी पर सदाशिव सशंकित थे. उन्हें लगा कि कहीं आमंत्रण देने की हड़बड़ी में गणों से देवताओं का अपमान ना हो जाए.
इसलिए महादेव ने इस काम के लिए गणेशजी का चयन किया. गणेश बुद्धि और विवेक के देवता हैं. वह जल्दबाजी में भी कोई गलती नहीं करेंगे.
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