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शाण्डिल्य मुनि के उपदेश से वे दोनों बालक व्रत रखकर प्रदोषकाल में शिव उपासन किया करते थे. एक दिन ब्राह्मणी का पुत्र राजकुमार को लेकर नदी में स्नान के लिए गया. वहां उसे रत्नों से भरा एक कलश मिला और उसकी दरिद्रता दूर हो गई.

एक साल के बाद एक दिन राजकुमार, ब्राह्मणी के पुत्र के साथ वन में गया. वहां एक गंधर्व राजकुमारी अपनी सखियों के साथ भ्रमण कर रही थी. कन्या राजकुमार पर मोहित हो गई.

उससे विवाह करके राजकुमार उसके पिता के राज्य का स्वामी हो गया. राजकुमार ने पालन करने वाली माता को राजमाता के पद पर प्रतिष्ठित किया. राजकुमार धर्मगुप्त के नाम से प्रसिद्ध राजा हुआ.

महादेव की कृपा से उसने सभी शत्रुओं को पराजित किया और महान शिवभक्त के रूप में जाना गया. (शिव पुराण की कथा)

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