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मां की महिमा अनंत है, वे किस रूप में कैसे अपने भक्तों की सहायता करती हैं बूझना कठिन है. कई बार उनके शाप भी वन जाते हैं वरदान

रामनारायण देवी मां का भक्त था. उसके मन में दो इच्छाएं ऐसी थी जिनको पूरी करने के लिये मां से हरदम प्रार्थना करता था.

एक इच्छा थी नगर शहर घूमने की और दूसरी, जगह जगह का बढ़िया भोजन करने की. मां ही उसकी इच्छा पूरी करवा सकती थीं. क्योंकि उसके जैसे गरीब किसान के लिए तो यह सब सपना ही था.

एक बार देवी मां की प्रेरणा से उसने हिम्मत की कि नजदीकी शहर तो देख ही लिया जाये. अपने एक दोस्त को साथ ले वह पैदल चल पड़ा. दिन भर चले, शाम एक जंगल के बीच हो गयी. रात होते होते कहीं एक मंदिर तक पहुंच पाये.

राम नारायण ने कहा जंगल में रुकने के लिये यह मंदिर देवी मां की कृपा सेही मिला है. यहां इस मन्दिर से बेहतर और क्या हो सकता है! दोस्त से कहा, आज की रात इसी मंदिर में कटे तो कैसा रहे, मन्दिर के देवता भी हमारी रक्षा करेंगे.

पर दोस्त ने कहा, ‘‘नहीं भाई, यह तो चण्डमुखी देवी का मंदिर है. बड़ी ही गुस्सैल देवी है. वह दिन भर आकाश पाताल नाप कर रात को मंदिर आती हैं, उस व़क्त अगर किसे को मंदिर में देख लें तो उसकी खैर नहीं. शाप दे देती है. ’’

‘‘रामनारायण भी देवी मां का भक्त ही था, बोला देवी मुझ पर नाराज़ नहीं होंगी और हों तो भी मैं एक क़दम आगे नहीं जाउंगा. रामनारायण मंदिर के भीतर चला गया, पलट कर देखा तो केशव घने जंगल की तरफ बढ़ चुका था.

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