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चेताते हुये देवी बोली, अब से तुम जिस पर नज़र डालोगे , वह भस्म हो जाएगी. ज़िंदगी भर आँखों पर पट्टी बॉंधे अंधे की तरह अपने दिन काटोगे. देवी के अंतर्धान होने से पहले रामनारायण ने झट अपने आंखों अपर अपना गमछा बांध लिया और लेट कर सोचने लगा.

सवेरा होते की आहट मिलते ही वह टटोलते हुए मंदिर के बाहर आया और पट्टी खोलकर मंदिर पर अपनी भरपूर नजर डाली. दूसरे ही क्षण मंदिर जलकर भस्म हो गया. मंदिर खत्म तो देवी का दिया रामनारायण का शाप गायब.

रामनारायण सब समझ गया कि यह सब देवी मां का ही रचा गया चमत्कार है जिसने मुझे न सिर्फ अपनी इच्छायें पूरी करवायी बल्कि शाप से मुखि भी दिला दी.

इनाम पाकर अमीर हुये रामनारायण ने मंदिर वाली जगह पर जंगल में शाम हो जाने वाले यात्रियों को रुकने के लिये एक सराय और देवी मां का मंदिर बनवा दिया.

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