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भैरव नाथ सिद्ध तांत्रिक था. जब उसे मां का कोई सुराग न लगा तो कुछ भटकने के बाद अपनी तंत्र विद्या से जान लिया कि मां आदि कुमारी वाली जगह पर हैं. वह वहां भी जाने की तैयारी करने लगा. मां तो अंतरयामी हैं वह सब जान गयीं.

अब मां वहां से उस जगह चलीं जहां उनकी माया से बंधे भैरव का अंत होना था. वे आदिकुमारी से त्रिकूट पर्वत वाली उस गुफा में जा बैठीं जिसकी बनावट ऐसी है कि गुफा के भीतर पहुंचने वाला बाहर निकलने के लिए उसी तरह छटपटाने लगता है, जैसे गर्भ से बाहर निकलने के लिए बच्चा छटपटाता है.

मां गुफा में नौ महीने तक तप करती रहीं इस बीच भैरव भी उनकी खोज में वहाँ आ पहुँचा. रास्ते में भैरव को एक साधु मिले उन्होंने कहा भैरव, ‘जिसे तू साधारण नारी समझता है, वह तो महाशक्ति हैं.’ भैरव ने साधु की बात अनसुनी कर दी और गुफा की ओर बढ चला.

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