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भैरव नाथ सिद्ध योगी और पहुंचा हुआ पर अड़ियल और गुस्सैल तांत्रिक था. सबसे बड़ी बात यह कि भैरव नाथ देवी के भक्तों यानी शाक्त लोगों का जानी दुश्मन था. वह विष्णु को पूजने वाले वैष्णव लोगों को भी बहुत कष्ट पहुंचाता था.

भैरव नाथ के 360 चेले थे. वे जहां कहीं भी विष्णु अथवा देवी-उपासक मिलते, उपद्रव मचाने, उनको तरह तरह के कष्ट पहुंचाने से नहीं चूकते थे. लोगों के बीच मांस मदिरा का व प्रचार करते. उनके इस अत्याचार से वे सभी परेशान और दु:खी थे. सब ने इस कष्ट से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना मां दुर्गा से की.

मां की प्रसिद्धि सुनकर भैरव नाथा को चिंता और चिढन हुई तो वह जगदंबा की परीक्षा लेने अपने 360 चेलों समेत चिनाव तट पर पहुंचा. मां ने उसे सही रास्ते पर आने, मांस मदिरा छोड़ देने का उपदेश दिया. पर भैरव को तो महामाया ने ही मोहित कर रखा था, यह कोई बात उसके पल्ले न पड़ी.

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