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सुदुयम्न स्त्री रूप में इला हो गया और वन में भटकने लगा. इला पर बुध की नजर पड़ी और वह मोहित हो गए. उन्होंने इला से विवाह की इच्छा प्रकट की.

इला भी अद्वितीय सुंदर पुरुष बुध पर रीझ गई. बुध और इला का विवाह हो गया. अगले ही महीने इला सुदुयम्न बनकर जाने लगी.

बुध विवेक के भी देवता हैं. वह पुरूष रूप धारण करने के बाद इला को ज्ञान देते ताकि उसे किसी स्त्री की इच्छा न हो.

इला एक वर्ष बुध के साथ रही और उसने पुरूरवा को जन्म दिया जिसने चंद्रवंश चलाया. उसी कुल में यदु ने यदुवंश चलाया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया.

उसके बाद सुदुयम्न ने शिव की घोर तपस्या की. अश्वमेध करके देवों को प्रसन्न किया और फिर से पुरुष रूप प्राप्त कर लिया.

बुध की पत्नी इला के जन्म की यह कथा कई पुराणों में आई है. बस इला के जन्म पूर्व लिंग बदलने के कारण में भिन्नता आती है.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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