gautama-buddha-wallpaper
लेटेस्ट कथाओं के लिए प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करें।
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

एक महात्माजी गौतम बुद्ध के पास आए और कहा- हे बुद्ध! आप सुनी सुनाई बातें नहीं कहते. अपने गहन अनुभव के आधार पर विचार देते हैं. आप धर्म और सिद्धान्त के बजाय वह ज्यादा कहते हैं स्वयं देखी-महसूस की है.

आपने कहा था- मुक्ति का मार्ग है अपने विवेक को जगाना और पूर्ण ध्यान में लिप्त हो जाना जिससे मनुष्य स्वयं को और इस संसार को भली भाँति समझ सकता है. परन्तु हे भगवान एक प्रश्न है. ये रीतियां, पूजा-पाठ क्या ये सब व्यर्थ हैं?

गौतम बुद्ध ने एक नदी की ओर इशारा करके महात्माजी से कहा- यदि कोई व्यक्ति इस नदी के दूसरे किनारे पर जाना चाहे तो वह क्या करे?

महात्मा बोले- यदि जल गहरी नहीं है तो वह चलकर जा सकता है और यदि जल गहरा है तो नांव की सहायता से उस पार जा सकता है, या तैरना आता हो तो स्वयं तैरकर जा सकता है.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here