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महादेव तो आनंद ले रहे थे. उन्होंने सैकड़ों कामदेव के सौंदर्य को झुठलाने वाला रूप धर लिया. मैना ने उन्हें देखा तो देखती रह गईं. उनके मन में शिव के प्रति बहुत दुलार उमड़ा.
जो मैना कुछ पल पहले पुत्री के निर्णय पर पछता रही थीं वही मैना चाहती थीं कि शीघ्र उनकी पुत्री से महादेव का विवाह हो जाए. उन्हें लगा रहा था कि ऐसा रूपवान गुणवान वर पार्वती को कहां मिलेगा.
मैना ने प्रेम से पूरे रीति-रिवाजों से शिव-पार्वती का विवाह कराया और पुत्री को अनेक उपहारों के साथ महादेव के साथ विदा कर दिया.
लेखन व संपादनः राजन प्रकाश
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