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उस पतंग पर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी की दृष्टि गई. उन्हें उस पतंग ने बड़ा आकर्षित किया. वह उसे कौतूहल से देखने लगीं. इसी बीच उन्हें ध्यान आय़ा कि आखिर किसकी पतंग इतनी शक्तिशाली है जो देव लोक तक आ पहुंची है. उसे देखना चाहिए.

वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के प्रति सोचने लगती हैं. इसके लिए चौपाई आती है.

‘जासु चंग अस सुन्दरताई।
सो पुरुष जग में अधिकाई॥’

इस भाव के मन में आते ही जयंत की पत्नी ने पतंग को हाथ में पकड़ लिया और सोचने लगी कि पतंग उड़ाने वाला अपनी पतंग लेने के लिए अवश्य आएगा, तब उससे भेंट होगी. इसी सोच में वह प्रतीक्षा करने लगी.

उधर पतंग पकड़ लिए जाने के कारण भगवान को पतंग दिखाई नहीं दे रही. वह कुछ व्याकुल हुए. तब बालक श्रीराम ने बाल हनुमान को कहा कि आप तो उड़ने की शक्ति रखते हैं. आप जरा इसका पता लगाएं कि आखिर मेरी पतंग कहां रह गई.

पवनपुत्र हनुमान पतंग को खोजते आकाश में उड़ते हुए इंद्रलोक पहुँच गए, वहाँ जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री उस पतंग को अपने हाथ में पकड़े हुए है. उन्होंने उस पतंग की उससे माँग की.

उस स्त्री ने पूछा- “यह पतंग किसकी है?” हनुमानजी ने श्रीरामचंद्रजी का नाम बताया. इस पर उसने उनके दर्शन करने की अभिलाषा प्रकट की और कहा आप मेरा संदेश पहुंचाएं कि यदि दर्शन देंगे तो पतंग को मैं मुक्त कर सकती हूं.

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2 COMMENTS

  1. l ‘ m very pleased to Prabhu Sharnam App. Because l getting many kind of knowledge
    about the Bed, Puran, Upanishads & Bhagbadgeeta’ s gaan. Thank U somuch
    Dr.Nirajji.

    • कृपया अपडेट भी कर लें ऐप्प, नया वर्जन पहले से ज्यादा उपयोगी है

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