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दरिद्र शादी कर के अपनी पत्नी को लेकर जाता भी कहाँ इसलिये सुमति और उसके पति ने विदायी के बाद वह रात जंगल में बड़े दुःख तकलीफ से गुजारी. उसकी तकलीफ देख मां अंबे वहां प्रकट हो गयीं.
असल में अनाथ के साथ सुमति ने भी मां जगदंबे की बहुत दिनों तक मन लगा कर पूजा की थी इसलिये उसके उसकी ऐसी दशा देख भगवती प्रकट हुई थी. मां अंबे ने उससे कहा, कि हे दीन ब्राह्मणी, मैं तुझ पर प्रसन्न हूँ, जो माँगना हो मांग ले.
सुमति के यह पूछने पर कि मां मुझ दीन हीन पर ऐसी कृपा कैसे? इस पर देवी मां ने बताया की मैं ही आदि शक्ति माँ हूँ, ब्रह्मा, विद्या और सरस्वती हूँ. इस जन्म में तुम ने अपने किशोरावस्था के दौरान सच्चे दिल से जो मेरी पूजा की और साथ ही तेरे पिछले जन्म के कर्म भी बहुत अच्छे थे , इसलिये मैंने तुझे दर्शन दिये.
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