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पिछली कथा से आगे…
नारदजी बोले- दो घड़ी रात बाकी रह जाए तभी उठकर तिल, कुशा, अक्षत, फूल, धूप आदि लेकर पवित्र होकर किसी नदी, तालाब, कुआं आदि जलाशय के किनारे जाएं. मनुष्य द्वारा बनाई नहरों एवं देवों द्वारा बताई नदियों में स्नान का दस गुणा फल है. तीर्थ में उसका भी दुगुना.
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