[sc:fb]
रात्रि के अंतिम प्रहर में श्रीराम ने स्नान करके चंडी देवी का अनुष्ठान आरंभ किया. उन्होंने मिट्टी से देवी की मूर्ति बनाई और ब्रह्माजी की बताई विधि से स्तुति की.
अनुष्ठान के बाद उत्सव हुआ जिसमें सारी वानर सेना ने नृत्य-गान से देवी की स्तुति की.श्रीराम ने पूजा तो की लेकिन उन्हें संतुष्टि नहीं मिली.
विभीषण से उन्होंने कहा- रावण ने देवी को प्रसन्न कर रखा है. हमारी इस पूजा से शायद वह प्रसन्न नहीं हुईं. कोई और राय दीजिए.
विभीषण ने कहा- प्रभु देवी को नीलकमल बहुत पसंद हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए हमें 108 नील कमल अर्पण करना चाहिए. इससे देवी अवश्य प्रसन्न होंगी.
अब समस्या थी कि उस समय अचानक नील कमल कहां से आएंगे?
हनुमानजी ने कहा- संसार में नीलकमल जहां भी होगा, मैं उसे खोजकर अभी ले आता हूं. आपकी पूजा अवश्य पूरी होगी.
विभीषण ने कहा- मैं जिन नील कमल की बात कर रहा हूं वे देवीदह में ही मिलते हैं. वहां पहुंचने में दस वर्ष का समय लगता है.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.