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दमयंती ने पूछा कि उदास क्यों हैं तो राजा ने कहा, समझ में नहीं आता वे दोनों औरतें कौन हैं. अगली बार राजा ने उन दोनों का नाम पूछा तो पहली बोली मैं लक्ष्मी हूँ और दूसरी ने अपना नाम दरिद्रा बताया. जल्द ही राजा नल को पता चला कि पखवारे भर के भीतर उनका सब धन जाता रहा है.

वे इतने गरीब हो गये कि खाने तक को न रहा. वे जंगल में कन्द मूल खाकर रहने लगे. एक दिन उनके पाँच बरस के बेटे को भूख लगी तो दमयंती ने नल से मालिन के यहाँ से छाछ माँगकर लाने को कहा. मालिन ने राजा को छाछ देने से मना कर दिया.

एक दिन जंगल में बेटे को सांप ने डस लिया. वे पुत्ररत्न खो कर दुःखी थे कि राजा नहा कर धोती सुखा रहा था तभी तेज हवा धोती उडा ले गई. रानी ने अपनी आधी साड़ी फाड़ कर नल को दी. बाद में राजा खाने के दो तीतर मार लाया, रानी ने तीतर भूने तो भुने तीतर उड गये.

वे भूखे प्यासे आगे बढे तो रास्ते में राजा के दोस्त का घर पडा. उसने दोनों को जिस कमरे में ठहराया था वहाँ रखे लोहे के औजार और सामान धरती में समा गए. चोरी का इल्जाम लगने के डर से वे वहां से भाग गये.

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