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संन्यासी ने कहा- मैं ऐसी दवा बनाकर तुम्हें दे तो सकता था लेकिन उसे तैयार करने के लिए एक खास वस्तु चाहिए जो अभी नहीं है मेरे पास.

महिला को हौसला मिला कि ऐसी दवाई होती तो है जो ये बाबा बनाते हैं. बस दवाई बनाने के लिए जरूरी किसी सामान का अभाव है.

उसने कहा- बाबा आप मुझे बताइए. मैं लाकर देती हूं आपको वह खास वस्तु. जहां भी मिलती हो, जिस मोल मिलती हो मैं लेकर आऊँगी.

संन्यासी ने बताया- उस दवा में पड़ने वाली बाकी सारी चीजें तो मेरे पास हैं बस एक चीज नहीं है- बाघ की मूंछ का एक बाल. बाघ की मूंछ का एक बाल मिलाए बिना दवा बेअसर है.

अब बाघ की मूंछ का एक बाल मिलना इतना सरल तो हैं नहीं इसलिए दवा नहीं बन पाएगी. मुझे दुख है.

महिला ने कहा- बाबा मुझे तो अपने पति को हर हाल में वश में करना है. मैं लेकर आऊंगी बाघ की मूंछ का बाल फिर आप उससे दवा बनाइएगा.

संन्यासी ने कहा कि ठीक है लेकर आओ फिर देखते हैं. महिला बाघ की तलाश में जंगल में निकल पड़ी.

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