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क्रोध में रावण ने शनिदेव पर गदा से प्रहार किया जिसके कारण वह लंगड़े हो गए. यही कारण है कि शनिदेव लंगड़ाकर चलते हैं और शीघ्र क्रोधित हो जाते हैं. यह कथा ब्रह्मवैवर्त पुराण से है. शिव पुराण के अऩुसार शिवजी ने गणेशजी को शीशविहीन किया था. कौन सी कथा सत्य और कौन असत्य यह तो प्रभु की माया वही जानें.

हम तो आपके समक्ष अपने धर्मग्रंथों की कथाएं प्रस्तुत कर रहे हैं. गणेशजी गजमुख हैं यह तो सार्वभौम सत्य है. आस्था में अविश्वास उचित नहीं. इसलिए उस सार्वभौम सत्य के साथ बढ़ते हैं. यह भी संभव है कि हमारे पुराणों आदि में बाद में कुछ छेड़छाड़ हुए हों या वेदव्यास जी द्वारा रचित वास्तिवक पुराण गुम हो गए हों.

बाद में सहेजने के लिए इन्हें कई हिस्से में जोड़ा गया हो उस दौरान कथाओं में कोई छोटी मोटी विसंगति रह गई हो जिससे कई बार कथाएं थोड़ी अळग हो जाती हैं. मानिए तो देव नहीं तो पत्थर, ईश्वर के प्रति विश्वास का भाव मानसिक शांति देगा, अविश्वास बेचैनी. शांति पथ सर्वोत्तम है.

संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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