Shani Shingnapur HD Photos

अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

शनिवार को जो प्रदोष होता है वह शनि प्रदोष कहलाता है. शनिदेव ने शिवजी की कृपा से ही न्याय के देवता का पद प्राप्त किया है. प्रदोष शिवजी की पूजा का दिन है. इसलिए जो भी लोग शनि प्रदोष का व्रत रखते हैं या व्रत न रख पाने पर भी शनि प्रदोष पर विशेष पूजा करते हैं उन पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनके कष्टों का निदान करते हैं.

इश पोस्ट में हम आपको शनि प्रदोष व्रत से जुड़ी सारी जानकारियां देंगे. शनि पीड़ा की शांति के लिए प्रदोष को क्या करना चाहिए, प्रदोष व्रत कैसे करना चाहिए, इस व्रत का उद्यापन कैसे करना चाहिए, ज्योतिषशास्त्र में इस व्रत का महत्व, प्रदोष को किए जाने वाले कुछ सरल उपाय जिनसे शनिपीड़ा से शांति मिलती है- उन सबका विवरण विस्तार देंगे. यह पोस्ट आपके लिए संग्रहणीय साबित होने वाली है. अंत तक पढ़ें.

प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं. सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है. इस व्रत में महादेव भोले शंकर की पूजा की जाती है. आज का प्रदोष शनिवार को होने के कारण शनि प्रदोष कहा जाएगा.

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए शनि प्रदोष को बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली बताया गया है.

शिवजी ने शनि को उत्तम पद प्रदान किया है. इसलिए आज के दिन प्रदोष काल में शिवजी की पूजा से शनि बड़े प्रसन्न होते हैं.

मेष व सिंह राशि पर अभी शनि की ढैय्या चल रही है. धनु, तुला और वृश्चिक पर शनि की साढ़ेसाती है.

तुला पर साढ़ेसाती का अंतिम ढैय्या है तो वृश्चिक राशि के लिए द्वितीय ढैय्या जबकि धनु राशि पर पहला ढैय्या है. इन पांचों राशि वालों को इस दिन पूजा से शनि पीड़ा से पूरे साल राहत मिलेगी.

जिनकी कुंडली में शनि दोष हो, शनि नीच होकर बैठे हों, शत्रुघर में हों, किसी पापग्रह के साथ बैठे हों, ढैय्या या साढेसाती के प्रभाव में हों, शनि का मारकेश हो तो ऐसे लोगों को शनि के कारण पीड़ा भोगना पड़ता है. उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के प्रदोष के दिन जरूर उपाय करने चाहिए.

शनि दोष व्यक्ति को निर्धन, आलसी, दुःखी, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, अल्पायु निराशावादी, जुआरी, कान का रोगी, कब्ज का रोगी, जोड़ों के दर्द से पीड़ित, वहमी, उदासीन, नास्तिक, बेईमान, तिरस्कृत, कपटी, अधार्मिक, व्यापार में हानि सहने वाला तथा मुकदमे व चुनावों में पराजित होने वाला बनाता है.

इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है. प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें. संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करनी चाहिए. इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है.

यदि आप व्रत करने में सक्षम नहीं हैं तो शनि प्रदोष व्रत कथा अवश्य पढ़ें और भगवान शिव पर देसी घी का दीपक और शनि देव पर सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें.

इससे भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है और भगवान शिव व शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here