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तब तो शंखासुर भी उन्हें खोजता हुए समुद्र के अंदर प्रविष्ट हुआ परंतु वे वेद एक स्थान पर कहीं प्राप्त न हुए. पीछे से ब्रह्माजी सब देवताओं को संग लेकर विष्णुजी की शरण में बैकुंठ लोक पहुंच गए.

श्रीविष्णु को निद्रा से जगाने के लिए सभी देवतागण भजन-कीर्तन करने लगे, गंध और धूप करने लगे और रक्षा की प्रार्थना करने लगे. उनके प्रयासों से प्रसन्न होकर भगवान ने नेत्र खोले.

तब सभी देवताओं ने श्रीविष्णु के दर्शन किए और षोडशोपचार से पूजा करके दंडवत किया. भगवान माधव ने उनसे कहा- मैं आपसे प्रसन्न हूं. मैं आपकीसभी मनोकामनाएं पूर्ण करूंगा.
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