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इतनी कथा सुनाकर सूतजी बोले- श्रीविष्णु देवताओं से ऐसा कहकर वहां से अंतर्धान हो गए. इंद्रादि देवता अपने अंशों में वहां रहते हुए अंतर्धान हुए. जो मनुष्य शुद्ध मन से इस कथा को सुनते हैं उन्हें भी प्रयागराज और बदरीवन में जाने का फल प्राप्त होता है.
कथा जारी रहेगी…
संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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