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ठीक उसी समय समृद्धि की नाव वहां से निकली. प्रेम ने पूछा, ‘बहन समृद्धि! मुझे अपनी नाव मेँ ले चलोगी?’

समृद्धि ने नाव मेँ नजर फेरी फिर कहा, ‘माफ करना प्रेम ! मेरी नाव सोना, चाँदी और हीरे जवाहरातों से भरी है. तुम्हारे लिए जगह नहीं बची!’

समृद्धि के पीछे नाव लेकर आ रही सुंदरता को देख प्रेम चिल्लाया, ‘हे सुंदरता! मुझे अपनी नाव मेँ बिठाओगी?’ सुंदरता ने प्रेम को गौर से देखा. वह गीला हो चुका था.

उसने कहा- ‘माफ करना प्रेम! तुम बहुत गीले हो. मेरी नाव गंदी कर दोगे. तुम जानते हो मुझे गंदगी पंसद नहीं. सुंदरता भी चली गई.

पानी प्रेम के सीने तक आ गया. प्रेम को उदासीनता की नाव जाती दिखी. प्रेम चिल्लाया- ‘उदासीनता, मुझे भी अपने साथ ले चलो. मुझे बचा लो.’ उदासीनता उदास थी.

वह बोली, ‘माफ करना प्रेम. यहां से जाने के कारण मैं बहुत उदास हूँ. तुम मुझे अकेला छोड दो.’ उदासीनता भी प्रेम को छोड़कर चली गई.

वहां सेँ आनंद अपने नाच-गान मेँ मशगूल गुजरा. प्रेम ने बहुत पुकारा. उसने भी प्रेम की बात नहीं सुनी. पानी प्रेम के गले तक आ गया था. अब उसे लगा कि वह नहीं बचेगा.

प्रेम रोने लगा. तभी पीछे से प्रेम भरी आवाज आयी- प्रेम! मेरी नाव मेँ बैठ जा. एक बूढ़ा आदमी नाव लिए खडा था. उसने प्रेम का हाथ पकडकर अपनी नाव मेँ बिठा लिया.
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