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रोग-व्याधि, भय से पीड़ा में हनुमान उपासना

एकाग्रचित होकर 21 दिन तक विधि-विधान से “बजरंग बाण” का पाठ करने से शत्रुओं के भय और रोग-व्याधि में बहुत आराम मिलता है. यदि आप निर्दोष और निरपराध हैं तो इस साधना से शत्रुओं को दंड मिलता है. यदि आपके अभीष्ट कर्म अनुचित हैं तो लाभ होने के स्थान पर हानि ही हो सकती है.

यदि परिवार में किसी के हिंसक प्रवृति से आप परेशान हैं तो हनुमानजी से उसकी बुद्धि सुधारने की प्रार्थना करें. यदि किसी अपराध के कारण बंधन दोष यानी जेल जाना पड़ गया है तो दोषी व्यक्ति अगर 108 बार “हनुमान चालीसा” का पाठ करके यह संकल्प ले कि वह स्वयं को बुरे कार्यों से मुक्त रखकर हनुमानजी की शरण में रहेगा तो वह दोबारा बंधन दोष से मुक्त हो जाता है.

ध्यान रहे हनुमानजी तभी तक रक्षा करते हैं जब तक आपकी भावना पवित्र है. यदि उस व्यक्ति ने दोबारा उन्हीं कार्यों में लिप्तता बढ़ाई तो बंधन दोष कई गुना बढ़ जाता है और उसे फिर उसकी मुक्ति आसानी से संभव नहीं होती.

यदि आप लगातार किसी कार्य को करने में असमर्थ हो रहे हैं और वह कार्य ऐसा है जिसमें कोई बुरी भावना नहीं और जिससे दूसरों का कल्याण हो सकता है तो आपको हनुमानजी के द्वादश(बारह) नाम जप करके उसे आरंभ करना चाहिए. एक माला जप लें.

उस कार्य से जुड़े हर प्रयास से पूर्व कम से कम एक बार द्वादश नाम जप लें. इससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है. द्वादश नाम प्रभु शरणम् एप्प के हनुमान आराधना सेक्शन में हैं.

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