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पर व्यापारी की पत्नी को संतान प्राप्ति की चाह ने इस तरह से मोह में डाल दिया था कि उसने अच्छे बुरे की समझ को ही त्याग दिया और एक दिन एक बच्चे की बलि भैरव बाबा के सामने दे दी, जिसके परिणाम स्वरूप उसे कई रोग हो गये.

पत्नी की यह हालत देख व्यापारी बहुत दुखी था. उसने इसका कारण पूछा. तब उसकी पत्नी ने बताया कि उसने एक बच्चे की बलि दी थी संभवतः उसी के कारण ऐसा हुआ.

यह सुनकर व्यापारी को बहुत क्रोध आया और उसने उसे बहुत पीटा. पर बाद में उसे अपनी पत्नी की दशा पर दया आ गई और उसने उसे सलाह दी कि वो अपने इस पाप की मुक्ति के लिए गंगा में स्नान करे और सच्चे मन से प्रार्थना करे.

व्यापारी की पत्नी ने वही किया जो पति ने आदेश किया था. कई दिनों तक गंगा स्नान किया और तट पर पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की. इससे प्रसन्न होकर माता गंगा ने एक बूढी औरत के रूप में व्यापारी की पत्नी को दर्शन दिए.

गंगा मैया ने कहा उसके शरीर के सारे विकार दूर करने हो सकते हैं यदि वह कार्तिक मास शुक्लपक्ष की नवमी के दिन वृंदावन में आंवले का व्रत रखकर उसकी पूजा करेगी. इससे उसके सभी कष्ट दूर होंगे.

व्यापारी की पत्नी ने बड़े विधि विधान के साथ पूजा की और उसके शरीर के सभी कष्ट दूर हुए. उसे सुंदर शरीर प्राप्त हुआ. साथ ही उसे पुत्र की प्राप्ति भी हुई. तब से ही महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा से आंवला नवमी का व्रत रखती हैं.
संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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