दूषण की सेना को भी उन्होंने मार गिराया. शेष दैत्य जान बचाकर भाग निकले. इसके बाद महाकाल ने दूषण का वध करके भक्तों की रक्षा की. देवताओं ने शिवस्तुति और आकाश से फूलों की वर्षा शुरू की.
अपने भक्तों पर प्रसन्न भगवान शंकर ने उन्हें आश्वस्त किया कि इस क्षेत्र में उनके भक्तों का काल भी अनिष्ट नहीं कर पाएगा. महादेव बोले- मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं. तुम लोग वरदान मांगो.
चारों ने महाकालेश्वर की विधिपूर्वक पूजा-स्तुति की फिर विनम्रतापूर्वक कहा- दुष्टों को दण्ड देने वाले हे महाकाल! हे शम्भो! आप हम सबको इस संसार-सागर से मुक्त कर दें.
हे भगवान महाकाल! आप प्राणियों के कल्याण तथा भयों से उनकी रक्षा के लिए यहीं सदा सर्वदा के लिए विराजिए. प्रभो! आप अपने दर्शनार्थी भक्तों के पापों का नाश कर उनका उद्धार करते रहें, हमारी यही कामना है.
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