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भीम के बंदीगृह में पड़े हुए राजा सुदक्षिण पार्थिव शिवलिंग बनाकर पंचाक्षर मंत्र से पत्नी समेत महादेव की आराधना करते रहते. बंदीगृह में होने से उन्होंने गंगा की स्तुति की और उन्हें मानसिक रूप से पवित्र रखने की प्रार्थना की.

भीम को जब पता चला कि उसने संसार से पूजा-पाठ बंद करा दिया. लेकिन उसका बंदी ही शिवोपासना में लगा है तो वह क्रोध से आग-बबूला हो गया. वह तत्काल उस स्थान पर पहुंचा जहां सुदक्षिण पार्थिव शिवलिंग की अर्चना कर रहे थे.

उन्हें ऐसा करते देख क्रोधोन्मत्त होकर राक्षस भीम ने अपनी तलवार निकाली और उस पार्थिव शिवलिंग पर जोरदार प्रहार किया किंतु उसकी तलवार के स्पर्श से शिवलिंग से महादेव प्रकट हो गए.

महादेव ने अपने धनुष पिनाक से उसके तलवार को खंडित कर दिया. भीम ने महादेव पर त्रिशूल चलाया जिसे महादेव ने अपने त्रिशूल से काट दिया. दोनों के बीच घोर युद्ध होने लगा.

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