Maharshi_Vyasa-image
लेटेस्ट कथाओं के लिए प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करें।
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें

देवयानी ने शुक्राचार्य को ययाति और शर्मिष्ठा के गुप्त प्रेम और संतान उत्पत्ति की सारी बात कह सुनाई. ययाति ने शुक्राचार्य को वचन दिया था कि शर्मिष्ठा को वह कभी अपने जीवन में स्थान नहीं देंगे.

ययाति ने अपना वचन तोड़ दिया इस बात से शुक्राचार्य बहुत क्रोधित हुए. उन्होंने ययाति को शाप दिया- तुमने आसक्ति में पड़कर वचनभंग किया है. इसलिए तुम बूढ़े, असक्त और प्रेमक्रीडा में असमर्थ हो जाओ.

शुक्राचार्य के शाप से ययाति तुरंत बूढ़े और निर्बल हो गए. अपने श्वेत केशों को झुर्री वाले मुख को देखकर उनका हृदय बहुत दुखी हुई. देवयानी को भी पति की अवस्था पर दया आने लगी.

ययाति ने शुक्राचार्य से कहा- आपने यह शाप देकर अपने पुत्री के जीवन को भी शापित किया है क्योंकि विवाहिता गृहस्थ के आमोद-प्रमोद की उसकी बहुत सी आंकांक्षाएं अभी अपूर्ण हैं.

देवयानी और ययाति दोनों ने शुक्राचार्य से शापमुक्ति की राह निकालने को कहा. शुक्राचार्य ने कहा-यदि ययाति का कोई पुत्र इसके जरा के बदले अपना यौवन दानकर दे खुद बुढापा भोगने को तैयार हो तो संभव हो सकता है.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here