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गुरूजी बोले- हम समस्याओं की असली जड़ को नहीं समझते. ऊपरी फुनगी देखकर ही हम समस्या के बारे में एक राय बना लेते हैं. हमें भ्रम होता है कि यदि उस फुनगी को शाखा बनने से पहले काट दिया जाए तो समस्या खत्म हो जाएगी.

जबकि ऐसा नहीं है. आप फुनगी को जितना काटोगे उतनी ज्यादा नई शाखाएं फूटेंगी और समस्या की जड़ से आपका ध्यान भटक जाएगा.

शिष्यों ने इसका निदान पूछा तो गुरूजी बोले- पहली कोशिश उन लोगों को धर्म और ईमानदारी की राह पर लाने की होनी चाहिए जो भटके हैं ताकि वे अधर्म का मार्ग छोड़ें.

सोचकर देखिए क्या दंड दे देने भर से बुराई का अंत हो जाता है. जब तक उस बुरे कार्य के परिणामों का बोध अधर्म पर चलने वाले व्यक्ति को नहीं होता वह, वह अधर्म का रास्ता नहीं छोड़ता.

इसलिए बुद्ध ने कहा है- बुरे व्यक्ति से नहीं, बुराई से नफरत करनी चाहिए और उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए.

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संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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