माता पार्वती ने भगवान शिव से अमरकथा और सृष्टि का आदि रहस्य सुनने की जिज्ञासा प्रकट की। भगवान शिव ने बताया भी, लेकिन वह बीच में ही सो गईं। जबकि तुरंत जन्मे तोते के बच्चे ने वह आदि रहस्य(ब्रह्म ज्ञान) सुन लिया। वह वेदव्यास के बेटे शुकदेव के रुप में जन्मा।
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उधर तल्लीन होकर ब्रह्म ज्ञान का उपदेश दे रहे भगवान शिव की नजर नींद में डूबी माता पार्वती पर पड़ी तो वे क्रोधित हो गए। जब माता की निद्रा टूटी तो महादेव ने उलाहना देते हुए कहा, कि तुम आदिशक्ति हो, लेकिन कभी कभी तुम्हारा आचरण अज्ञानी और निम्न श्रेणी से मनुष्यों की तरह हो जाता है। इससे माता पार्वती रुष्ट हो गईं। उन्होंने संकल्प लिया कि अब आपको मुझे प्राप्त करने के लिए मनुष्य रुप धारण करना होगा। ऐसा कहकर जगदंबा अंतर्ध्यान हो गईँ।

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