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गिद्ध ने कहा- मनुष्यों, आपके दुख का कारण यही मोहमाया ही है. संसार में आने से पहले हर प्राणी का आयु तय हो जाती है. संयोग और वियोग प्रकृति के नियम हैं.

आप अपने पुत्र को वापस नहीं ला सकते. इसलिए शोक त्यागकर प्रस्थान करें. संध्या होने वाली है. संध्याकाल में श्मशान प्राणियों के लिए भयदायक होता है. इसलिए शीघ्र प्रस्थान करना उचित है.

गिद्ध की बातें ब्राह्मण के साथ आए रिश्तेदारों को बहुत प्रिय लगीं. वे ब्राह्मण से बोले- बालक के जीवित होने की आशा नहीं है. इसलिए यहां रूकने का क्या लाभ?

सियार सब सुन रहा था. उसे गिद्ध की चाल सफल होती दिखी तो भागकर ब्राह्मण के पास आया.

सियार कहने लगा-बड़े निर्दयी हो. जिससे प्रेम करते थे, उसके मृत देह के साथ थोड़ा वक्त नहीं बिता सकते. फिर कभी इसका मुख नहीं देख पाओगे. कम से कम संध्या तक रूककर जी भरके देख लो.

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