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1 पहली बात मां यशोदाजी ने भगवान के दोनों हाथ क्यों पकड़े? किसी भी माता को पसंद नहीं कि उसका बालक मिट्टी खाए. कान्हा ने मिट्टी खाई तो इस कारनामे में सबसे नजदीकी सहायक तो ये दोनों हाथ ही थे न. अपराधी का सहायक भी अपराधी होता है पहले उसको पकड़ लो तो अपराध का पता चलना आसान हो जाता है.

2 भगवान की दोनों आंखें डर के मारे इसलिये नाचने लगीं क्योंकि असल में भगवान के नेत्र में सूर्य और चंद्रमा का निवास है. वे हर कर्म के गवाह हैं. उन्होंने सोचा कि पता नहीं श्रीकृष्ण मिट्टी खाना स्वीकार करेंगे कि मुकर जायेंगे. स्वीकार करते हैं तो कोई बात नहीं, यदि मुकर गए तो हमको क्या करना होगा, इस अनिश्चितता में दोनों नेत्र चकराने लगे.

3. पृथ्वी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु का एक नाम “मेदिनिपति भी है. जब भगवान भू देवी से बात करते हैं तो कोई न कोई आ ही जाता है खलल डालने तो उन्होंने धरती का एक टुकड़ा ही मुंह में रख लिया और पृथ्वी से बोले- मेदिनी अब तुम मेरे मुंह में रहकर ही मेरे मुंह से बात कर सकती हो.

4. धूल या मिट्टी के टुकड़े को रज भी कहते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने विचार किया कि मुझमें तो केवल शुद्ध सत्वगुण ही है. जबकि इस अवतार में मुझे बहुत से असुरों का संहार करना है. उसके लिए कुछ राजस कर्म भी करने हैं. राजस कर्म के लिए तो क्यों ना थोडा-सा ‘रज’ संग्रह कर लें. भगवान का संकेत है कि वीरता के सभी कार्य अपनी मिट्टी या राष्ट्र के कल्याण के लिए करना चाहिए.

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