Shivshakti
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एक बौद्ध भिक्षु भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियां चुन रहा था. तभी उसने पेड़ के नीचे बैठी एक ऐसी लोमड़ी देखी जिसके पैर नहीं थे.

भिक्षुक को बड़ा आश्चर्य हुआ. बिना पैरों की लोमड़ी जो चल फिर नहीं सकती वह शिकार क्या करेगी. फिर ये जिंदा कैसे है और तंदुरुस्त भी.

वह बैठकर प्रभु की माया के बारे में सोचने लगा. वह इन्हीं विचारों में खोया हुआ था कि अचानक सारे जानवर इधर-उधर भागते दिखे. एक शेर उस तरफ आ रहा था.

भिक्षु एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया. शेर अपने अपने जबड़े में एक हिरन दबाए लोमड़ी की तरफ बढ़ा आ रहा था. भिक्षु पेड़ पर बैठा सब देख रहा था. वह अपाहिज लोमड़ी की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगा.

शेर ने लोमड़ी पर हमला नहीं किया बल्कि उसे अपने शिकार में से मांस के कुछ टुकड़े खाने के लिए डाल दिए. लोमड़ी ने शेर को धन्यवाद किया. यह देख भिक्षु का आंखें फंटी रह गईं.
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