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मेरे द्वारा स्थापित इस शिवलिंग को दुनिया की सारी शक्ति मिलकर भी नहीं उखाड़ सकती है. आपसे भूलवश महादेवजी के प्रति अपमान का अपराध हुआ है लेकिन यह कष्ट देकर मैंने प्रायश्चित करा दिया. आगे से सावधान रहें.

अपने भक्त हनुमानजी पर कृपा करते हुए भगवान श्रीराम ने उनके द्वारा कैलाश से लाए शिवलिंग को भी वहीं समीप में ही स्थापित कर दिया. श्रीराम ने ही उस लिंग का नाम ‘हनुमदीश्वर’ रखा. रामेश्वर तथा हनुमदीश्वर शिवलिंग की प्रशंसा भगवान श्रीराम ने स्वयं की है.

स्वयं हरेण दत्तं हनुमान्नामकं शिवम्। सम्पश्यन् रामनाथं च कृतकृत्यो भवेन्नर:।।
योजनानां सहस्त्रेऽपि स्मृत्वा लिंग हनूमत:। रामनाथेश्वरं चापि स्मृत्वा सायुज्यमाप्नुयात्।।
तेनेष्टं सर्वयज्ञैश्च तपश्चकारि कृत्स्नश:। येन इष्टौ महादेवौ हनूमद्राघवेश्वरौ।।

अर्थात भगवान शिव द्वारा प्रदत्त हनुमदीश्वर नामक शिवलिंग के दर्शन से मानव जीवन धन्य हो जाता है. जो मनुष्य हज़ार योजन दूर से भी यदि हनुमदीश्वर और श्रीरामनाथेश्वर-लिंग का स्मरण चिन्तन करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है.

इस शिवलिंग की महिमा का बखान करते हुए कहा गया है जिसने हनुमदीश्वर और श्रीरामेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन कर लिया, उसने सभी प्रकार के यज्ञ तथा तप के पुण्य प्राप्त कर लिया.

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प्रभु शरणम्

2 COMMENTS

  1. Yeh pauranik kathaye padhkar muje ku6 na ku6 naya janne ko mil raha he aur muje umeed he age bhi aisi unsuni kathaye Prabhu Sharnam ke madhyam se janne ko milei……..

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