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अपशकुन का विचारः शकुन विचार की ही तरह कुछ लक्षणों को यात्रा में अपशकुन का संकेतक माना जाता है. इन लक्षणों को यात्रा के लिए अपशकुन मानना चाहिए-

  • यात्रा के समय यदि कोई पशु कान फड़फड़ाते या लड़ते हुए पशु सामने दिख जाएं तो यह अपशकुन है.
  • यात्रा के लिए ऐन निकलते समय छींक आ आना भी अपशकुन है.
  • यात्रा के लिए निकलते समय मन को शांत रखना चाहिए. अचानक किसी बात पर क्रोध आ जाए किसी के दांत किटकिटाने की आवाज सुनाई पड़े या कहीं लड़ाई-झगड़े का स्वर सुनाई दे तो इसे अपशकुन मानना चाहिए.
  • यात्रा के लिए चलने पर आपके सामने कोई जीव प्राण त्याग दे तो यह बड़ा अपशकुन है. यात्रा को टाल देना चाहिए. अगर यात्रा टाली नहीं जा सकती तो कुछ पल का विराम लें. फिर यात्रा को निकलें.
  • शरीर से या हाथ से वस्त्र का झोला या बक्सा का गिर जाना भी अपशकुन का संकेत है.

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  • यात्रा के समय यदि कोई आपको कोस रहा हो या भला-बुरा कह रहा है तो यह अपशकुन का संकेत है. उस व्यक्ति से मिलकर उसका आशीर्वाद लेकर ही यात्रा करें.
  • यात्रा के लिए चलने के बाद गड्ढे में गिर जाना भयंकर अपशकुन का संकेत है.
  • अचानक सर्प, बिल्ली, कुबड़े, व्याघ्र, तेल, मठ्ठा, कपास, ईंधन, अन्न का छिलका आदि दिख जाएं तो यह भी अपशकुन के संकेत हैं.
  • यात्रा के समय बंदर का दर्शन अशुभ माना जाता है. बंदर दिखने पर अपशुकन मिटाने के प्रयोग कर लेने चाहिए.
  • यात्रा के समय कबूतरों का बोलना तो मृत्युकारक कहा गया है. ऐसी स्थिति में यात्रा टाल देनी चाहिए. यदि बहुत ज्यादा जरूरी हो तभी यात्रा करनी चाहिए पर अपशकुन का परिहार करने के बाद ही

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शकुनशास्त्र कहता है कि यदि यात्रा में अपशकुन के संकेत दिख जाएं तो उनका परिहार करके ही यात्रा करनी चाहिए. अगले पेज पर जानें अपशकुन का परिहार कैसे किया जाता है.

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