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रावण का आदेश ठुकराने साहस किसी में न था. लेकिन शनिदेव ने मेघनाथ के जन्म के ठीक पहले एक पग बढ़ाकर अपनी राशि बदल दी.
नतीजा हुआ कि मेघनाथ अपराजेय नहीं हो सका. रावण आग-बबूला हो गया. उसने क्रोध में शनिदेव के पैर पर गदा से जोरदार प्रहार किया.
आघात इतना तीव्र था कि शनिदेव की चाल में लंगड़ाहट आ गई. इसीलिए शनि की चाल वक्री हो जाती है. इस तरह देवी के शाप के कारण शनिदेव लंगड़े हो गए.
(ब्रह्मवैवर्त पुराण से संबद्ध कथा)
यह कथा हमने एक बार पहले भी डाली थी लेकिन पाठकों के कई मेल आए इसलिए हम इसे फिर से प्रकाशित कर रहे हैं.
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संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली