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इसके श्रवणमात्र से भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते हैं. यह मन्त्र सब मन्त्रों का राजा, मनोवांछित फल देनेवाला तथा भगवान शंकर को बहुत प्रिय है. यह साधक को भोग और मोक्ष देने में समर्थ है.

शिवा को पंचाक्षर मंत्र का ज्ञान देकर नारद चले गए. उन्होंने इसी मंत्र की साधना से महादेव को प्रसन्न किया. (शिव महापुराण, रूद्र संहिता पार्वती खंड)

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