माखनचोर-कृष्ण
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एक भागवत कथा वाचक ब्राह्मण एक गांव में कथा वांच रहे थे. उस दिन उन्होंने नंदलाल के सौंदर्य, उनके आभूषणों का बड़ा मोहक वर्णन किया. उधर से गुजरता एक चोर भी कथा सुनने बैठ गया था.

उसने जब आभूषणों के बारे में सुना तो उसे लालच आया. उस दिन की कथा समाप्त होने पर पंडितजी को खूब दक्षिणा मिली जिसे गठरी बनाकर वह लिए चले. जरा सुनसान में पहुंचे तो चोर सामने आ गया.

उसने पूछा कि ये श्याम मनोहर कहां रहते हैं. मुझे उनके घर से गहने चुराने हैं. पता बताओ. पंडितजी डर गए. उन्हें अपने सामान का भय हुआ. सो उन्होंने बुद्धि लगाई और कहा कि उनका पता मेरे झोले में लिखा है. यहां अंधेरा है थोड़ा उजाले में चलो तो देखके बताउं.

चोर तैयार हो गया. उसे जल्दी थी. पंडितजी ने और चतुराई की. अपना बोझा उसके सिर पर लाद दिया और ऐसे स्थान पर पहुंचकर रूके जहां लोगों को आवाजाही ज्यादा थी.

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