हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]

चौपाईः
गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन। नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन॥
तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन। बरनउँ राम चरित भव मोचन॥1॥

भावार्थ:- गुरु के चरणों की रज कोमल और सुंदर नयनामृत अंजन है, जो नेत्रों के दोषों का नाश करनेवाला है. उस अंजन से विवेकरूपी नेत्रों को निर्मल करके मैं संसाररूपी बंधन से छुड़ानेवाले भगवान श्रीराम के चरित्र का वर्णन करता हूं.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

Facebook Page Like करने से लेटेस्ट कथाएँ आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page

धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here