हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:mbo]
अस पन तुम्ह बिनु करइ को आना। रामभगत समरथ भगवाना॥
सुनि नभगिरा सती उर सोचा। पूछा सिवहि समेत सकोचा॥3॥

आपको छोड़कर दूसरा कौन ऐसी प्रतिज्ञा कर सकता है. आप श्री रामचन्द्रजी के भक्त हैं, समर्थ हैं और भगवान हैं. इस आकाशवाणी को सुनकर सतीजी के मन में चिन्ता हुई और उन्होंने सकुचाते हुए शिवजी से पूछा-

कीन्ह कवन पन कहहु कृपाला। सत्यधाम प्रभु दीनदयाला॥
जदपि सतीं पूछा बहु भाँती। तदपि न कहेउ त्रिपुर आराती॥4॥

हे कृपालु! कहिए, आपने कौन सी प्रतिज्ञा की है? हे प्रभो! आप सत्य के धाम और दीनदयालु हैं. यद्यपि सतीजी ने बहुत प्रकार से पूछा, परन्तु त्रिपुरारि शिवजी ने कुछ न कहा.

सतीजी को कुछ अनुमान भी हो रहा है और भय भी. उन्हें भान हो रहा है कि सर्वज्ञ महेश्वर से कुछ भी छुपा लेने की बात सोचना भी अज्ञानता है. उनके हृदय में चिंता शिवजी की प्रतीज्ञा को लेकर बड़ी है. सती सोचती हैं-

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here