ये कथा है एक साधक की, तंत्र युद्ध की। तांत्रिक हमेशा असत साधना ही नहीं करते। हर तांत्रिक शक्तियों का दुरूपयोग नहीं करता। इच्छाछारी सर्प की मुक्ति के लिए तंत्र युद्ध की एक रोंगटे खड़े करने वाली सत्यकथा। एक सच्चे तांत्रिक ने कई सौ वर्ष की उम्र वाले बड़े तांत्रिक से लड़ा एक तंत्र युद्ध।

तांत्रिक सुनकर लोगों के मन में एक भय आ जाता है। उन्हें ऐसा लगता है कि तांत्रिक सिर्फ और सिर्फ असत या अनुचित मार्ग पर चलते हैं। पर ऐसा नहीं है। भगवान शिव द्वारा रची गई विद्या का अनुचित प्रयोग करने वाले बड़ी बुरी गति को प्राप्त होते हैं। एक सत्यकथा है ऐसे तांत्रिक की जो सत् की साधना करता है। वह तंत्र मार्ग का महान ज्ञाता है। लेकिन उसने कभी तंत्र का इस्तेमाल अपने निजी लाभ के लिए नहीं किया। किसी के कल्याण के लिए उसने अपनी तंत्र शक्तियों का प्रयोग किया। तंत्र युद्ध लड़ा किसी के भले के लिए।

एक सच्चे तांत्रिक सत्य की रक्षा के लिए लड़ा तंत्र युद्ध

धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-

[sc:fb]

आपको यदि  धर्म और आध्यात्म से जुड़ी बातें जाननी हैं तो कृपया 9871507036 पर  हमें अपने नाम के साथ   SENDलिखकर  WhatsApp कर दें.  आपको  प्रभु शरणं के बारे में सूचना दी जाएगी. 

वह तंत्र का अच्छा ज्ञाता था। उसके पास बहुत सी सिद्धियां थीं। हर समय उसने कोशिश की, कि उसकी विद्या का लाभ कमजोर लोगों को मिले। जो अपनी रक्षा खुद नहीं कर सकते हैं उनकी रक्षा के लिए वह तंत्र युद्ध तक करता था। हालांकि इस तंत्र युद्ध में उसको बड़े नुकसान भी झेलने पड़ते थे। अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक दिन वह ध्यानरत था। तभी उसके चैतन्य में एक मार्मिक पुकार गूंजी। ये पुकार एक नागिन “उर्रन्गी” की थी। जिसके पति “दुर्मुक्ष”को एक सर्पतंत्र में प्रवीण तांत्रिक ने कैद कर लिया था। उस प्रबल तांत्रिक का नाम था सोनिला। जिसकी उम्र कई सौ वर्ष थी।

सोनिला तांत्रिक उस इच्छाधारी नाग की बलि देकर एक महत्वपूर्ण सिद्धि प्राप्त करना चाहता था। लेकिन हमारी कहानी के नायक औघड़ ने भी संकल्प कर लिया था, नाग दुर्मुक्ष को छुड़ाना ही है। इसके लिए औघड़ ने तांत्रिक सोनिला को चुनौती दे दी। दोनो में भीषण द्वंद्व हुआ। जिसके बारे मे हम आपको विस्तार से बताएंगे। आईए कथा में प्रवेश करते हैं और आगे की कहानी जानते हैं कहानी के नायक औघड़ और सोनिला तांत्रिक की जुबानी।

औघड़ लगातार सोनिला तांत्रिक से अनुनय विनय कर रहा था।

[irp posts=”7346″ name=”गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना, पूजन की संपूर्ण विधि”]

“बाबा सोनिला! मुक्त कर दो इनको मैं हाथ जोड़ता हूं आपका दास बन जाऊँगा. हमेशा के लिए।” मैंने (औघड़) कहा।

“नहीं! जब तक कामेश्वरी नहीं आएगी ये कैद ही रहेंगे! चाहे युग बीत जाएँ!” अडिग होकर उन्होंने कहा।
“बाबा तुम अडिग तो मैं भी अडिग। लगा दी मैंने भी प्राण की बाजी।” मैंने कहा,
तांत्रिक सोनिला हंसा….”अरे बालक! हा! हा! हा! हा!” तू क्यों अपने प्राण दांव पर लगाता है।
“छोड़ दो बाबा।” मैंने हाथ जोड़कर कहा।
“जा! तुझे छोड़ दिया। बाबा ने छोड़ दिया।” वो बोला,
“मुझे नहीं बाबा। इनको छोड़ दो।” मैंने कहा।
“असम्भव” सोनिला ने कहा।
“मैं छीन लूँगा इनको आपसे।” मैंने कह दिया!

“तेरी इतनी हिम्मत?” आगबबूला होकर उन्होंने कहा और दुमुक्ष को फिर से बाँध लिया। अब द्वंद्व शुरु हो चुका था।
अब सोनिला बाबा ने सर्प-दंड उठाया और किसी का आह्वान किया।
और तभी वहां धामड़ी प्रकट हो गयी।
ये अत्यंत शक्तिशाली डाकिनी है। मानव का कलेजा खा जाती है। अब मैं भी तैयार हुआ, अपने त्रिशूल को उखाड़ा और भद्रलोचिनी-शक्ति का जाप कर डाला, त्रिशूल में जैसे विद्युतीय आवेश दौड़ गया।
जैसे ही डाकिनी क्रंदन करते हुए मेरे समक्ष आयी मैंने त्रिशूल से वार किया।

आवाज हुई झन्न! डाकिनी त्रिशूल को छूकर तत्काल लोप हो गई।

[irp posts=”4806″ name=”भागवत में राधाजी का जिक्र क्यों नहीं आया?”]

अब बाबा सोनिला का क्रोध भड़क गया।
“आशीर्वाद दें बाबा!” मैंने व्यंग्य बाण छोड़ा।
“मेरी क्षमता जानता नहीं तू?” तांत्रिक सोनिला ने चेतावनी दी।
“जानता हूँ, तभी तो आपने इनको क़ैद कर लिया?” मैंने कहा।
“जिव्हा काट दूंगा तेरी।” वो चिल्लाया।
अब सोनिला बाबा ने अपना सर्प-दंड नीचे भूमि पर मारा।  मैं थोडा सा डगमगाया।  अचानक सोनिला ने एक मंत्र पढ़ते हुए सर्प-दंड मेरी ओर कर दिया। मैं तत्काल  अपने स्थान से पीछे फिंक गया। तभी भूमि ने जकड़ लिया मुझको। जमीन मुझे अंदर खींचने लगी।

[irp posts=”7012″ name=”हनुमानजी की पूजा कैसे करें, क्या स्त्रियां कर सकती हैं पूजा?”]

मैंने फ़ौरन जंभाल-मंत्र का जाप किया और छूट गया।
“बच गया?” सोनिला ने उपहास उड़ाया मेरा।
“हाँ!” मैंने भी निडर होकर उत्तर दिया।
लेकिन तभी तक तू जीवित है,  जब तक मैं चाहूं। सोनिला ने फिर से अट्ठहास किया
अब मैं जानता था, कि वो कोई घातक प्रहार करेगा। इसलिए अब मैंने अपने सामने पहले से लाकर रखी हुई गुड़ की भेलियां सामने सजाईं और उन भेलियों पर बकरों का मांस रखा।

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here