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तीज व्रत पर माता पार्वती की प्रार्थना निम्न मंत्रों से कर सकते हैं-
ऊँ उमायै नम:,
ऊँ पार्वत्यै नम:,
ऊँ जगतधात्रये नम:,
ऊँ जगत्प्रतिष्ठायै नम:,
ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:,
ऊँ शिवायै नम:

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तीज पर भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-

ऊँ हराय नम:,
ऊँ महेश्वराय नम:,
ऊँ शम्भवे नम:,
ऊँ शूलपाणये नम:,
ऊँ पिनाकवृषे नम:,
ऊँ शिवाय नम:,
ऊँ पशुपतये नम:,
ऊँ महादेवाय नम:

पूजन दूसरे दिन सुबह समाप्त होता है तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं.

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तीज व्रत के नियम :

  • व्रत निर्जला किया जाता हैं अर्थात पूरा दिन एवं रात अगले सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता.
  • व्रत कुंआरी कन्याओं, सुहागिनों द्वारा किया जाता हैं. विधवा महिलाओं को भी इस व्रत के करने से मनाही नहीं है. कई स्थानों में विधवाएं भी अगले जन्म में अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं.
  • व्रत का नियम हैं कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता. इसे प्रति वर्ष पूरे नियमों के साथ किया जाता हैं.
  • इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान तथा मिठाइयां ससुराल में भेजी जाती है. तीज के दिन महिलाएं प्रातः गृह कार्य व स्नान आदि के बाद सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं.
  • नये वस्त्र पहनकर पूरा श्रृंगार करके व्रत किया जाता है.
  • व्रत से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहते हैं इस व्रत के दौरान जो सोती हैं वे अगले जन्म में अजगर बनती हैं, जो दूध पीती हैं वे सर्पिनी, जो व्रत नहीं करती वे विधवा, जो शक्कर खाती हैं वे मक्खी बनती हैं.
  • जो मांस खाती हैं वे गिद्ध, जो जल पीती हैं वे मछली और जो अन्न खाती हैं वे सुअरी और जो फल खाती हैं वे बकरी बनती हैं.
  • अस्वस्थ हैं, गर्भवती हैं, प्रसूता हैं या किसी विशेष प्रयोजन के कारण भोजन करना अनिवार्य है तो ऐसी स्त्रियों के लिए सात्विक भोजन और फलाहार की अनुमति है.
  • यदि दवाई आदि खाना एकदम अनिवार्य है तो उसके लिए भी भगवान शिव-पार्वती का स्मरण करें, उन्हें विवशता बताएं और फिर दवाई खा लें. इसके लिए मनाही नहीं है. यह भी विशेष प्रयोजन में आता है.

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तीज व्रत की पूजन सामग्री, पूजा की विधि और व्रत कथा अगले पेज पर देखें.

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