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गंगा ने कहा- मैं गौतम को पापमुक्त कर चली जाऊंगी. यदि देवगण सबका प्रिय करना चाहते हैं तो आपसब यहां क्यों नहीं निवास करते? यदि आप मानवों में मेरी उपयोगिता और मेरी महिमा सिद्ध कर सकें तो मैं अवश्य यहां रह सकती हूं.
देवताओं ने कहा- जब सिंह राशि पर गुरू बृहस्पति का पदार्पण होगा, उस समय हम सभी आकर यहां निवास करेंगे. ग्यारह वर्षों तक लोगों का गो-पातक यहां क्षालित होगा. उस पाप को धोने के लिए हम सभी नदियों में आप गंगा के पास आया करेंगे.
महादेवी! समस्त लोगों पर अनुग्रह करते हुए हमारा प्रिय करने हेतु तुम्हें और भगवान शंकर को यहाँ पर नित्य निवास करना चाहिए. गौतमी नदी के किनारे महादेव त्र्यंबकम शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए क्योंकि इसी शर्त पर गंगा वहां ठहरने को तैयार हुई थीं.
गौतम ने गंगा की आराधना करके पाप से मुक्ति प्राप्त की. गौतम तथा अन्य मुनियों को गंगा ने पूर्ण पवित्र कर दिया और गौतमी के रूप में वहां स्थित हुईं. बृहस्पति जब सिंह राशि पर आते हैं तो त्र्यंबकेश्वर महातीर्थ में कुंभ का आयोजन होता है.
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संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
” Har Har Mahadev “
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