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एक राजा का दरबार लगा था. सर्दी के दिन थे इसलिए दरबार खुले में लगा था. महाराज के सिंहासन के सामने टेबल जैसी कोई कीमती चीज रखी थी पंडित लोग दीवान आदि सभी दरवार मे बैठे थे राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे

उसी समय एक व्यक्ति आया और उसने कहा मेरे पास दो वस्तुएं हैं. मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूं और अपनी बात रखता हूं कोई परख नहीं पाता. अभी तक सभी हारे ही हैं. अपराजित हूं, अब आपके नगर में आया हूं.

राजा के आदेश पर उसने दोनों वस्तुएं टेबल पर रख दीं. बिल्कुल समान आकार, समान रुप-रंग, समान प्रकाश सब कुछ एक जैसा. राजा ने कहा ये दोनों वस्तुएं तो एक ही हैं फिर क्या भेद?

उस व्यक्ति ने कहा- महाराज, दोनों वस्तुएं दिखाई तो एक सी देती हैं लेकिन हैं भिन्न. इनमे से एक बहुत कीमती हीरा है और एक कांच का टुकडा है. दोनों रूप-रंग में एक हैं लेकिन कोई परख नहीं पाया कि कौन सा हीरा है और कौन सा कांच.

यदि इस राज्य में किसी ने परख लिया तो मैं हार जाउंगा और यह हीरा राजकोष में जमा करा दूंगा. यदि नहीं पहचान पाया तो हीरे की कीमत के बराबर पैसा आपको मुझे देना होगा. कई राज्यों से जीतता आया हूं. यदि स्वीकार हो तो परखने के लिए लोगों को बुलाइए.

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