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श्रावण मास में श्रावण सोमवार के दूसरे दिन यानी मंगलवार के दिन ‘मंगला गौरी व्रत’ मनाया जाता है. सावन के हर मंगलवार को मनने वाले इस व्रत को मंगला गौरी व्रत (पार्वतीजी) नाम से जाना जाता है. विवाहिताएं पति व संतान की लंबी उम्र एवं सुखी जीवन की कामना के लिए मंगलागौरी व्रत करती हैं.

जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में अड़चन‍ हो अथवा शादी के बाद पति से अलग होने जैसे अशुभ योग बनते हों, उनके लिए मंगला गौरी व्रत विशेष फलदायी है. ऐसी महिलाओं को सोलह सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी व्रत रखना चाहिए.

व्रत का संकल्प लेने के पश्चात लगातार पांच वर्षों तक किया जाता है. फिर विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए.

मंगलागौरी व्रत-पूजन के लिए निम्न सामग्री चाहिए.

फल, फूलों की मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग, जीरा, धनिया ये सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए. साडी सहित सोलह श्रंगार की 16 वस्तुएं, 16 चूडियां इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के सूखे मेवे 16 की संख्या में. सात प्रकार के धान्य (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) 16 बार रख लेना चाहिए.

इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठे. नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए.
इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है.

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