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कंस बोला- मैं निपराध बालकों की हत्या की. मैं आपका अपराधी हूं. देवताओं ने मेरे साथ साथ छल किया. उन्होंने बताया कि आपका आठवां पुत्र मेरा वध करेगा लेकिन आठवीं संतान तो पुत्री हुई. मेरे अपराधों को क्षमा कर दो.

वसुदेव-देवकी ने उसे क्षमा कर दिया. उसने दोनों को बंदीगृह से मुक्त किया और स्वागत के साथ महल में ले गया. उसने वसुदेव-देवकी के रहने के लिए अलग से एक महल दिया. दोनों ने इसे स्वीकार कर लिया.

प्रातःकाल कंस ने अपने मंत्रियों को योगमाया की सारी बात बताई. मंत्रियों ने कहा- देवताओं को छल का दंड मिलना चाहिए. नगर में दस दिन तक के सभी बच्चों की हत्या कर देनी चाहिए. सभी यज्ञ हवन पर प्रतिबंध करा दीजिए.

देवता बड़े डरपोक हैं. आप इंद्र को परास्त कर चुके हैं. शिव और विष्णु आपके भय से कहीं छुपे रहते हैं. वेद, ब्राह्मण, गौ तथा यज्ञ में विष्णु का वास है. अतः इनका समूल नाश कर देना चाहिए ताकि आप पर मंडराता संकट मिट जाए.

मंत्रियों की सलाह पर कंस ने अपने सेना में मौजूद राक्षसों को संहार में लगा दिया. वे वेष बदलकर विनाश करने लगे. ब्राह्मण, गौ और साधु संतों का नाश करने लगे. कंस के अत्याचारों से जनता पीड़ित हो गई.

गोकुल में कंस का अत्याचार ज्यों-ज्यों बढ़ता गया भगवान ने विभिन्न प्रकार की लीलाओं से कंस के दुष्ट सेवकों का संहार आरंभ कर दिया.आगे श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग आरंभ करुंगा.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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